संदेश

अप्रैल, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ऋण मुक्ति गणेश स्त्रोत

ऋणमोचन महागणपति स्तोत्र विनियोग – ॐ अस्य श्रीऋण-मोचन महा-गणपति-स्तोत्र-मन्त्रस्य भगवान् शुक्राचार्य ऋषिः, ऋण-मोचन-गणपतिः देवता, मम-ऋण-मोचनार्थं जपे विनियोगः। ऋष्यादि-न्यास – भगवान् शुक्राचार्य ऋषये नमः शिरसि, ऋण-मोचन-गणपति देवतायै नमः हृदि, मम-ऋण-मोचनार्थे जपे विनियोगाय नमः अञ्जलौ। ऋणमोचन महागणपति स्तोत्र ॐ स्मरामि देव-देवेश।वक्र-तुण्डं महा-बलम्। षडक्षरं कृपा-सिन्धु, नमामि ऋण-मुक्तये।।1।। महा-गणपतिं देवं, महा-सत्त्वं महा-बलम्। महा-विघ्न-हरं सौम्यं, नमामि ऋण-मुक्तये।।2।। एकाक्षरं एक-दन्तं, एक-ब्रह्म सनातनम्। एकमेवाद्वितीयं च, नमामि ऋण-मुक्तये।।3।। शुक्लाम्बरं शुक्ल-वर्णं, शुक्ल-गन्धानुलेपनम्। सर्व-शुक्ल-मयं देवं, नमामि ऋण-मुक्तये।।4।। रक्ताम्बरं रक्त-वर्णं, रक्त-गन्धानुलेपनम्। रक्त-पुष्पै पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये।।5।। कृष्णाम्बरं कृष्ण-वर्णं, कृष्ण-गन्धानुलेपनम्। कृष्ण-पुष्पै पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये।।6।। पीताम्बरं पीत-वर्णं, पीत-गन्धानुलेपनम्। पीत-पुष्पै पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये।।7।। नीलाम्बरं नील-वर्णं, नील-गन्धानुलेपनम्। नील-पुष्पै पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये।।8।। धूम्राम्बर...

ऋण मुक्ति

ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र  गणेश जी की पूजा अर्चना करने से कार्य सफल होते है। साथ ही सुख और समृद्धि भी प्राप्त होती है। ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र, भगवान गणपति जी का स्त्रोत है। जिसकी आराधना करने से गणेश जी प्रसन्न होते है और वह भक्त की मनोकामना को पूर्ण करते है। गणेश जी का यह स्त्रोत बहुत ही फलदायक होता है। ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का पाठ करने से जातक सभी ऋणों से मुक्ति पा लेता है। ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र  ॥ ध्यान ॥ ॐ सिन्दूर-वर्णं द्वि-भुजं गणेशं लम्बोदरं पद्म-दले निविष्टम्। ब्रह्मादि-देवैः परि-सेव्यमानं सिद्धैर्युतं तं प्रणामि देवम् ॥ ॥ मूल-पाठ ॥ सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक् पूजित: फल-सिद्धए । सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥ 1 त्रिपुरस्य वधात् पूर्वं शम्भुना सम्यगर्चित: । सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥ 2 हिरण्य-कश्यप्वादीनां वधार्थे विष्णुनार्चित: । सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥ 3 महिषस्य वधे देव्या गण-नाथ: प्रपुजित: । सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥ 4 तारकस्य वधात् पूर्वं कुमारेण प्रपूजित: । सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥ 5 भास्करेण गणेशो हि पूजितश्छवि-सि...

ऋण मुक्ति स्त्रोत

कर्ज मुक्ति स्तोत्र ॐ  सिन्दूर -वर्णं द्वि-भुजं गणेशं लम्बोदरं पद्म-दले निविष्टम् । ब्रह्मादि-देवैः परि-सेव्यमानं सिद्धैर्युतं तं प्रणामि देवम् ॥ सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक् पूजित: फल-सिद्धए । सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥ त्रिपुरस्य वधात् पूर्वं शम्भुना सम्यगर्चित: । सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥ हिरण्य-कश्यप्वादीनां वधार्थे विष्णुनार्चित: । सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥ महिषस्य वधे देव्या गण-नाथ: प्रपुजित: । सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥ तारकस्य वधात् पूर्वं कुमारेण प्रपूजित: । सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥ भास्करेण गणेशो हि पूजितश्छवि-सिद्धए । सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥ शशिना कान्ति-वृद्धयर्थं पूजितो गण-नायक: । सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥ पालनाय च तपसां विश्वामित्रेण पूजित: । सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥ इदं त्वृण-हर-स्तोत्रं तीव्र-दारिद्र्य-नाशनं, एक-वारं पठेन्नित्यं वर्षमेकं सामहित: । दारिद्र्यं दारुणं त्यक्त्वा कुबेर-समतां व्रजेत् ॥ ॐ सिन्दूर-वर्णं द्वि-भुजं गणेशं लम्बोदरं पद्म-दले निविष्टम् । ब्रह्म...