महाशिवरात्रि


 💥 *विशेष - द्वादशी को पूतिका(पोई) अथवा त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
               🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞

🌷 *महाशिवरात्रि* 🌷
🙏🏻 *शिवरात्रि का व्रत, पूजन, जागरण और उपवास करनेवाले मनुष्य का पुनर्जन्म नहीं होता है। (स्कंद पुराण)*
🙏🏻 *शिवरात्रि के समान पाप और भय मिटानेवाला दूसरा व्रत नहीं है। इसको करनेमात्र से सब पापों का क्षय हो जाता है। (शिव पुराण)*
                🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞

 🌷 *शिवरात्रि के दिन करने योग्य विशेष बातें*
🙏🏻 *१. शिवरात्रि के दिन की शुरुआत ये श्लोक बोल के शुरू करें :-*
🌷 *देव देव महादेव नीलकंठ नमोस्तुते l*
*कर्तुम इच्छा म्याहम प्रोक्तं, शिवरात्रि व्रतं तव ll*
🙏🏻 *2. काल सर्प के लिए महाशिवरात्रि के दिन घर के मुख्य दरवाजे पर पिसी हल्दी से स्वस्तिक बना देना....शिवलिंग पर दूध और बिल्व पत्र चढ़ाकर जप करना और रात को ईशान कोण में मुख करके जप करना l*
🙏🏻 *3. शिवरात्रि के दिन ईशान कोण में मुख करके जप करने की महिमा विशेष है, क्योंकि ईशान के स्वामी शिव जी हैं l रात को जप करें, ईशान को दिया जलाकर पूर्व के तरफ रखें , लेकिन हमारा मुख ईशान में हो तो विशेष लाभ होगा l जप करते समय झोका आये तो खड़े होकर जप करना l*
🙏🏻 *4.  महाशिवरात्रि को कोई मंदिर में जाकर शिवजी पर दूध चढाते हैं तो ये ५ मंत्र बोलें :-*
🌷 *ॐ हरये नमः*
🌷 *ॐ महेश्वराए नमः*
🌷 *ॐ शूलपानायाय नमः*
🌷 *ॐ पिनाकपनाये नमः*
🌷 *ॐ पशुपतये नमः*
🙏🏻 *- Sureshanandji Haridwar - 11.02.2010*
          🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞

🌷 *महाशिवरात्रि - भाग्य की रेखा बदलने हेतु ( युवा विशेष)*
 *जिनकी उम्र 15 से 45 साल के अन्दर है..उनको अगर कोई बीमारी नहीं है...शुगर नहीं है... हो सके तो हिम्मत दिखाकर ... सुबह के सूर्योदय से लेकर अगले दिन के सूर्योदय तक पानी भी न पिए... भाग्य की रेखा न बदले तो मुझे कहना ...महा शिवरात्रि के सूर्योदय से अगले दिन के सूर्योदय तक निर्जला उपवास | जो ज्यादा दुबले -पतले हो वे ये न करें | जो बराबर ठीकठाक हो वे जरुर करें ... बहुत फायदा होगा..युवान भाई-बहनों को तो मैं आग्रहपूर्वक कहूंगा कि महाशिवरात्रि के दिन निर्जला उपवास जरुर करें और रात को फिर सो मत जाओ ..रात को २-३-४ बजे तक जगकर जप करें | युवा भाई-बहनें खास हिम्‍मत करें और जप करो तो पूर्व और उत्तर के बीच ..ईशान कोण पड़ता है..उधर मुंह कर के जप करना |*
🙏🏻 *और एक माला महामृत्युंजय मंत्र की अपने गुरुदेव को दक्षिणा दो और प्राथना करें " हे भोला नाथ ! हमारे बापूजी हमें प्रीति देते है..ज्ञान देते है ..शक्ति देते है ..दीक्षा देते है ...ऐसे हमारे गुरुदेव का स्वास्थ्‍य बढ़िया रहे और हमारे गुरुदेव की आयु खूब -खूब लंबी हो " रात को १२ बजे ..१२:३० बजे ..१ बजे जब भी करना चाहो तब करना जरूर | ये पवित्र तिथि के दिन अपना भजन ..भक्ति बढ़ाने के दिन है | इसका जरुर फायदा उठाये |*
🙏🏻 *- श्री सुरेशानंदजी Chittorgarh 29th Jan' 2012*
   🌞 *~   हिन्दू पंचांग ~* 🌞

🌷 *महाशिवरात्रिः कल्याणमयी रात्रि* 🌷
🙏🏻 *'स्कन्द पुराण' के ब्रह्मोत्तर खंड में आता है कि 'शिवरात्रि का उपवास अत्यंत दुर्लभ है। उसमें भी जागरण करना तो मनुष्यों के लिए और दुर्लभ है। लोक में ब्रह्मा आदि देवता और वसिष्ठ आदि मुनि इस चतुर्दशी की भूरि भूरि प्रशंसा करते हैं। इस दिन यदि किसी ने उपवास किया तो उसे सौ यज्ञों से अधिक पुण्य होता है।'*
🙏🏻 *'शिव' से तात्पर्य है 'कल्याण' अर्थात् यह रात्रि बड़ी कल्याणकारी रात्रि है। इस रात्रि में जागरण करते हुए ॐ.... नमः.... शिवाय... इस प्रकार, प्लुत जप करें, मशीन की नाईं जप पूजा न करें, जप में जल्दबाजी न हो। बीच-बीच में आत्मविश्रान्ति मिलती जाय। इसका बड़ा हितकारी प्रभाव अदभुत लाभ होता है।*
🙏🏻 *शिवपूजा में वस्तुओं का कोई महत्त्व नहीं है, भावना का महत्त्व है। भावे ही विद्यते देव.... चाहे जंगल या मरूभूमि में क्यों न हो, वहाँ रेती या मिट्टी के शिवजी बना लिये, उस पर पानी के छींटे मार दिये, जंगली फूल तोड़कर धर दिये और मुँह से ही नाद बजा दिया तो शिवजी प्रसन्न हो जाते हैं।*
🙏🏻 *आराधना का एक तरीका यह है कि उपवास रखकर पुष्प, पंचामृत, बिल्वपत्रादि से चार प्रहर पूजा की जाय।*
🙏🏻 *दूसरा तरीका यह है कि मानसिक पूजा की जाय। हम मन-ही-मन भावना करें-*
🌷 *ज्योतिर्मात्रस्वरूपाय निर्मलज्ञानचक्षुषे।*
*नमः शिवाय शान्ताय ब्रह्मणे लिंगमूर्तये।।*
🙏🏻 *'ज्योतिमात्र (ज्ञानज्योति अर्थात् सच्चिदानंद, साक्षी) जिनका स्वरूप है, निर्मल ज्ञान ही जिनका नेत्र है, जो लिंगस्वरूप ब्रह्म है, उन परम शांत कल्याणमय भगवान शिव को नमस्कार है।'*
🙏🏻 *महाशिवरात्रि की रात्रि में ॐ बं, बं.... बीजमंत्र के सवा लाख जप से गठिया जैसे वायु विकारों से छुटकारा मिलता है।*
🙏🏻 *क्या करें क्या न करें पुस्तक से*
                🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞

🌷 *शिवरात्रि की रात 'ॐ नमः शिवाय' जप*
🙏🏻 *शिवजी का पत्रम-पुष्पम् से पूजन करके मन से मन का संतोष करें, फिर ॐ नमः शिवाय.... ॐ नमः शिवाय.... शांति से जप करते गये। इस जप का बड़ा भारी महत्त्व है। अमुक मंत्र की अमुक प्रकार की रात्रि को शांत अवस्था में, जब वायुवेग न हो आप सौ माला जप करते हैं तो आपको कुछ-न-कुछ दिव्य अनुभव होंगे। अगर वायु-संबंधी बीमारी हैं तो 'बं बं बं बं बं' सवा लाख जप करते हो तो अस्सी प्रकार की वायु-संबंधी बीमारियाँ गायब !*
🙏🏻 *ॐ नमः शिवाय मंत्र तो सब बोलते हैं लेकिन इसका छंद कौन सा है, इसके ऋषि कौन हैं, इसके देवता कौन हैं, इसका बीज क्या है, इसकी शक्ति क्या है, इसका कीलक क्या है – यह मैं बता देता हूँ। अथ ॐ नमः शिवाय मंत्र। वामदेव ऋषिः। पंक्तिः छंदः। शिवो देवता। ॐ बीजम्। नमः शक्तिः। शिवाय कीलकम्। अर्थात् ॐ नमः शिवाय का कीलक है 'शिवाय', 'नमः' है शक्ति, ॐ है बीज... हम इस उद्देश्य से (मन ही मन अपना उद्देश्य बोलें) शिवजी का मंत्र जप रहे हैं – ऐसा संकल्प करके जप किया जाय तो उस संकल्प की पूर्ति में मंत्र की शक्ति काम देगी।*
🙏🏻 *Rishi Prasad-Feb. 2011*
               🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🙏🏻 *व्यतिपात योग की ऐसी महिमा है कि उस समय जप पाठ प्राणायम, माला से जप या मानसिक जप करने से भगवान की और विशेष कर भगवान सूर्यनारायण की प्रसन्नता प्राप्त होती है जप करने वालों को, व्यतिपात योग में जो कुछ भी किया जाता है उसका १ लाख गुना फल मिलता है।*
🙏🏻 *वाराह पुराण में ये बात आती है व्यतिपात योग की।*
🙏🏻 *व्यतिपात योग माने क्या कि देवताओं के गुरु बृहस्पति की धर्मपत्नी तारा पर चन्द्र देव की गलत नजर थी जिसके कारण सूर्य देव अप्रसन्न हुए नाराज हुऐ, उन्होनें चन्द्रदेव को समझाया पर चन्द्रदेव ने उनकी बात को अनसुना कर दिया तो सूर्य देव को दुःख हुआ कि मैने इनको सही बात बताई फिर भी ध्यान नहीं  दिया और सूर्यदेव को अपने गुरुदेव की याद आई कि कैसा गुरुदेव के लिये आदर प्रेम श्रद्धा होना चाहिये पर इसको इतना नहीं थोडा भूल रहा है ये, सूर्यदेव को गुरुदेव की याद आई और आँखों से आँसू बहे वो समय व्यतिपात योग कहलाता है। और उस समय किया हुआ जप, सुमिरन, पाठ, प्रायाणाम, गुरुदर्शन की खूब महिमा बताई है वाराह पुराण में।*

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

शारदा पूजन विधि

गीता के सिद्ध मन्त्र

रामचरित मानस की चोपाई से कार्य सिद्ध