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कृष्ण लीला

*🌹“श्रीकृष्णचरितामृतम्”- भाग 1🌹* !! गोकुल गाँव, महावन !! कालिन्दी कल कल करती हुयी बह रही हैं……..मथुरा के उस पार एक वन है जिसका नाम है महावन…..उसी में एक गाँव भी है…..गोकुल । गायों का समूह यहीं रहता है……गौ कितनी हैं …..संख्या सही सही बता पाना जरा कठिन है……बीस लाख से भी ज्यादा हैं यहाँ गौ । बड़ा दिव्य स्थल है ये……यहाँ की माटी परमपावन है…..और हो क्यों नहीं…..गौएँ जहाँ स्च्छन्द हो विचरती हैं….अपनी मस्ती में रंभाती हों ।………गोप कुमार, जिनका हृदय पवित्रतम है…..ऐसी भूमि की महिमा कौन गा सकता है । नाना जाति के वृक्ष हैं यहाँ …………आम, मोरछली, कदम्ब, पीपल, पाकर, ये घनें हैं…………बाकी सुन्दर सुन्दर लताएँ हैं ……..जो कल्प वृक्ष को भी लज्जित कर दें ऐसी शोभा है इनकी । गोकुल में फूल खिलते हैं……..तो इनकी सुगन्ध की वयार चलती है………जो पूरे महावन को सुगन्धित कर देती है । अहीर कुमार बड़े भोले हैं यहाँ के ……….गौ चारण, कृषि यही मुख्य कार्य है इनका । गुलाब, जूही, केतकी, वेला, मोगरा, और कमल के फूलों की भरमार है चारों और ………भौरों का गुँजार एक अलग ही संगीत का अनुभव करा जाता है महावन में …………. कुञ्ज बनें हैं छोटे छोटे ...