माँ दुर्गा के चमत्कारी मन्त्र


देवी भागवत में बतलाया गया है की इस सम्पूर्ण सृष्टि का सृजन, पालन एवं संहार करने वाली आदि शक्ति माता दुर्गा है.

गौरी, काली, लक्ष्मी तथा सरस्वती ये सभी माँ दुर्गा के ही विभिन्न रूप है.

माँ दुर्गा का लोक कल्याणकारी रूप में जगत में विख्यात है.

असुर दुर्गम के अत्याचारो से तीनो लोको को मुक्ति दिलाने के कारण ही माता का नाम देवी दुर्गा पड़ा.

कलियुग में माता का यही नाम प्रचलित है क्योंकि माता दुर्गा प्राणियों को दुर्गति से निकालती है.

मां अपने भक्तों को हर विघ्न-बाधाओं से बचाती हैं.

प्रसन्न होने पर सुख-समृद्धि व ऐश्वर्य का वरदान देती हैं.

शास्त्रों में कुछ ऐसे मंत्रों का वर्णन किया गया है जिनसे माता को आसानी से प्रसन्न करके उनसे अपनी इच्छानुसार आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है.

जिसकी जैसी चाहत हो उसी अनुसार मंत्र का चुनाव करके माता की भक्ति करनी चाहिए.

धन प्राप्ति के साथ संतान सुख भी पाना चाहते हैं तो नियमित इस मंत्र का जप करें- सर्वाबाधा वि निर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः.

मनुष्यो मत्प्रसादेन भवष्यति न संशय.

इन दिनों आपका बुरा समय चल रहा है और बार-बार संकट में फंस जा रहे हैं तो देवी के इस मंत्र का जप करें- शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे.

सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते..

स्वास्थ्य और धन के साथ ऐश्वर्य से भरपूर जीवन पाना चाहते हैं तो देवी के इस सिद्ध मंत्र का जप करें- ऐश्वर्य यत्प्रसादेन सौभाग्य-आरोग्य सम्पदः.

शत्रु हानि परो मोक्षः स्तुयते सान किं जनै..

जीवन मृत्यु यानी बार-बार जन्म लेने और मरने के चक्र से बचना चाहते हैं तो मोक्ष प्राप्ति के लिए नियमित देवी के इस मंत्र का जप करें- सर्वस्य बुद्धिरुपेण जनस्य हृदि संस्थिते.

स्वर्गापवर्गदे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते.

दुर्गे देवि नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थसाधिके. मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय.

इस मंत्र से सपने में भूत भविष्य जानने के क्षमता आ जाती है.

पत्नीं मनोरमां देहि नोवृत्तानुसारिणीम्.

तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्.

देवी के इस सिद्ध मंत्र से सुंदर और सुयोग्य जीवनसाथी पाने की चाहत पूरी होती है.

सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्ति भूते सनातनि.

गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोऽस्तु ते.

इस मंत्र का नियमित जप व्यक्ति को गुणवान और शक्तिशाली बनाता है.

जीवन में प्रसन्नता और आनंद चाहते हैं तो नियमित इस सिद्ध मंत्र का जप करें-प्रणतानां प्रसीद त्वं देवि विश्वार्तिहारिणि.

त्रैलोक्यवासिनामीडये लोकानां वरदा भव..

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