गुप्त नवरात्री विशेष
यह वंसतीय गुप्त नवरात्र सर्व कामना प्राप्ति के लिए श्रेष्ठ माने जाते हैं। इन वंसतीय गुप्त नवरात्र में काम देव का जन्मोत्सव और वाग्देवी सरस्वती का महत्वपूर्ण दिन बसंत पंचमी भी आता है।
यह नवरात्र गुप्त सिद्धियों तथा जादू-टोने की काट करने के लिए सर्वश्रेष्ठ है क्योंकि इस नवरात्र का प्रांरभ मंगलवार और मंगल के नक्षत्र से हो रहा है। अत: यह नवरात्र हनुमान जी की उपासना और अपनी किस्मत चमकाने के लिए सर्वश्रेष्ठ है। जानिए कैसे..
घर की उत्तर दिशा में लाल कपड़ा बिछाकर हनुमान जी के चित्र की विधिवत स्थापना करें।
हनुमान जी का षडोशपचार पूजन करें।
लाल रंग के पुष्प अर्पित करें।
चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर चांदी का वर्क (माली पन्ना) लेकर हनुमान जी के स्वरूप पर लगाएं।
लाल चंदन की माला से मंत्र: हं हनुमते रुद्रातमकाय हुं फट॥ का जाप करें।
मोतीचूर के लड्डू पर लौंग लगाकर अपने सिर से सात बार वार कर हनुमान जी को आंख बंद करके भोग लगाएं। आंखे खोलने के बाद हनुमान जी के विग्रह के सामने उस लड्डू को जोर से तोड़ दें तथा उसे गाय को खिला दें।
विशेष कार्य सिद्धि के लिए करें ये उपाय–
दांपत्य जीवन की परेशानी से मुक्ति:
गुप्त नवरात्रि केवल तंत्र साधनाएं हासिल करने का ही जरिया नहीं हैं बल्कि घर में कलह-शांति को समाप्त करने, विवाहित जोड़ों के बीच मधुर संबंध स्थापित करने का भी उद्देश्य इस दौरान पूरा होता है।
जानकारों के अनुसार कुछ विशेष उपाय करने से दांपत्य जीवन में आने वाली परेशानियां हल हो सकती हैं।
“सब नर करहिं परस्पर प्रीति, चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति।।”
इस मंत्र का जाप करते हुए 108 बार अग्नि घी अर्पण करें। इसके अलावा रोजाना सुबह 21 बार इस मंत्र और गायत्री मंत्र का जाप करने से दांपत्य जीवन में मधुरता आती है। संभव हो तो गुप्त नवरात्रि के दौरान अपने जीवनसाथी से सुबह-शाम घर में शंख बजवाया करें।
गृह शांति स्थापित करने के लिए:
“जब ते राम ब्याहि घर आए, नित नव मंगल मोद बधाए।।”
गुप्त नवरात्रि के अंतिम दिन स्फटिक की माला द्वारा माता सीता और भगवान राम का ध्यान करते हुए 324 बार इस मंत्र का जाप करें। साथ ही साथ ग्यारह बार हवन कुंड में घी की आहुति दें और भगवान को खीर का भोग लगाएं।
बीमारी से मुक्ति के लिए:
अगर घर में कोई सदस्य बीमार है तो उसका इलाज भी गुप्त नवरात्रि के दौरान किया जाता है। भगवान शंकर को रोगनाशक भी माना गया है। गुप्त नवरात्रि के दौरान शिवलिंग पर रोजाना सुबह जल चढ़ाएं और रोग शांति के लिए प्रार्थना करें।
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