उठो , जागो और तब तक रुको नही जब तक मंजिल प्राप्त न हो जाये । § जो सत्य है , उसे साहसपूर्वक निर्भीक होकर लोगों से कहो – उससे किसी को कष्ट होता है या नहीं , इस ओर ध्यान मत दो। दुर्बलता को कभी प्रश्रय मत दो। सत्य की ज्योति ‘ बुद्धिमान ’ मनुष्यों के लिए यदि अत्यधिक मात्रा में प्रखर प्रतीत होती है , और उन्हें बहा ले जाती है , तो ले जाने दो – वे जितना शीघ्र बह जाएँ उतना अच्छा ही है। § तुम अपनी अंत:स्थ आत्मा को छोड़ किसी और के सामने सिर मत झुकाओ। जब तक तुम यह अनुभव नहीं करते कि तुम स्वयं देवों के देव हो , तब तक तुम मुक्त नहीं हो सकते। § ईश्वर ही ईश...