mata pita
संतानों के नाम पत्र
जो मात-पिता हैं पूज्य अरे ! तुम उनको क्यों ठुकराते हो ? देकर के उनको कष्ट, कहो क्यों विपदाओं को बुलाते हो ?बचपन में जब रोते देखा, झट तुम्हें गोद में उठा लिया ।थोड़ा भी देखा दुःखी अगर, चूमा, पुचकारा, प्यार किया ॥ खुद तो गीले में सोई माँ, सूखे में तुम्हें सुलाया था ।सह भूख इन्होंने खुशीखुशी, तुमको भरपेट खिलाया था॥ यदि तुम इनकी सेवा करके, संतुष्ट नहीं रखते इनको ।तो जग के सारे सुख साधन, काँटे बन जायेंगे तुमको ॥यदिमात-पिता से नफरत का, व्यवहार करोगे तो सुन लो ।वैसा ही अपने पुत्रों से, तुम पाओगे लिखकर रख लो ॥
माता-पिता-गुरु से बढ़कर, नहीं हितैषी हैं जग में ।इनका ही उपकार लहू बन, दौड़ रहा है रग-रग में ॥
इसलिए दुआएँ लो इनकी, दिल इनका नहीं दुखाना तुम ।इनने तो फूल बिछाये थे, ना काँटे कभी बिछाना तुम ॥मात-पिता-गुरु सेवा कर, दुनिया से आदर पाओगे ।इन सब का भाव से पूजन कर, अपना जीवन महकाओगे ॥बस आज से ही ठानो मन में, शुभ कर्म से क्यूँ शरमाते हो !
इनकी सेवा कर कहो क्यूँ न, तुम अपना भाग्य बनाते हो ?^जिन मात-पिता ने अपने जीवन की हर सुबह की शुरुआत तुम्हारे हँसते चेहरे को देखकर किया > जन्मदाता माता -पिता के जीते जी, उनसे वात्सल्य भरे दो शब्द बोलकर उनके दर्शन कर लो ,इन करुनामूरती के आधे अधर बंद हो जाने पर आखरी समय में,तैयार गंगा जल की दो बूँद मुह में डालकर क्या कर लोगे ?हमेशा देने वाले, कभी कुछ अपेक्षा नही रखने वाले,
समय रहते सच्चे मन से, इन जीवित तीर्थों को समझ लो |"खुश रहना बेटा" ऐसे शब्दों से अंतर्मन से आशीर्वाद देने वाले,
जब इस दुनिया में नही होंगे,तब अश्रुधारा बहा कर क्या कर लोगे ?पतझड़ में भी बसंत की खुशबू जैसा व्यवहार रखना,तुम भी अपने बच्चों के माँ-बाप हो, यह ध्यान रखना |जैसा बोओगे, वैसा काटोगे, यह प्रकृति का नियम है,
जो मात-पिता हैं पूज्य अरे ! तुम उनको क्यों ठुकराते हो ? देकर के उनको कष्ट, कहो क्यों विपदाओं को बुलाते हो ?बचपन में जब रोते देखा, झट तुम्हें गोद में उठा लिया ।थोड़ा भी देखा दुःखी अगर, चूमा, पुचकारा, प्यार किया ॥ खुद तो गीले में सोई माँ, सूखे में तुम्हें सुलाया था ।सह भूख इन्होंने खुशीखुशी, तुमको भरपेट खिलाया था॥ यदि तुम इनकी सेवा करके, संतुष्ट नहीं रखते इनको ।तो जग के सारे सुख साधन, काँटे बन जायेंगे तुमको ॥यदिमात-पिता से नफरत का, व्यवहार करोगे तो सुन लो ।वैसा ही अपने पुत्रों से, तुम पाओगे लिखकर रख लो ॥
माता-पिता-गुरु से बढ़कर, नहीं हितैषी हैं जग में ।इनका ही उपकार लहू बन, दौड़ रहा है रग-रग में ॥
इसलिए दुआएँ लो इनकी, दिल इनका नहीं दुखाना तुम ।इनने तो फूल बिछाये थे, ना काँटे कभी बिछाना तुम ॥मात-पिता-गुरु सेवा कर, दुनिया से आदर पाओगे ।इन सब का भाव से पूजन कर, अपना जीवन महकाओगे ॥बस आज से ही ठानो मन में, शुभ कर्म से क्यूँ शरमाते हो !
इनकी सेवा कर कहो क्यूँ न, तुम अपना भाग्य बनाते हो ?^जिन मात-पिता ने अपने जीवन की हर सुबह की शुरुआत तुम्हारे हँसते चेहरे को देखकर किया > जन्मदाता माता -पिता के जीते जी, उनसे वात्सल्य भरे दो शब्द बोलकर उनके दर्शन कर लो ,इन करुनामूरती के आधे अधर बंद हो जाने पर आखरी समय में,तैयार गंगा जल की दो बूँद मुह में डालकर क्या कर लोगे ?हमेशा देने वाले, कभी कुछ अपेक्षा नही रखने वाले,
समय रहते सच्चे मन से, इन जीवित तीर्थों को समझ लो |"खुश रहना बेटा" ऐसे शब्दों से अंतर्मन से आशीर्वाद देने वाले,
जब इस दुनिया में नही होंगे,तब अश्रुधारा बहा कर क्या कर लोगे ?पतझड़ में भी बसंत की खुशबू जैसा व्यवहार रखना,तुम भी अपने बच्चों के माँ-बाप हो, यह ध्यान रखना |जैसा बोओगे, वैसा काटोगे, यह प्रकृति का नियम है,
माँ-बाप की देह पंचमहाभूत में मिलने के बाद, श्रद्धांजलि दे कर क्या कर लोगे ?श्रवण बनकर बुढे माँ-बाप की लकडी बनो, यह तो अच्छा है,
लेकिन उन्हें दुःख पहुचाकर, उनकी आखो के अश्रुरूपी मोती मत बनना |जीते जी सदा सारस के जोड़े की तरह साथ रहने वाले माँ-बाप को मत बाटना,
अपने लोगो का भी उपेक्षित व्यवहार, वे कैसे सहेंगे ?नौ माह तक पेट में, गोद में तथा बाद अपने ह्रदय में रखकर, तुम्हे बड़ा करने वाले
माँ-बाप को सम्हालने का जब समय आए,तो उन्हें घर का द्वार मत दिखाना,अभी तुमने उनको रखने की बारी बांधी है,लेकिन कल तुम्हारी बारी आने वाली है, ये याद रखना |पैसा खर्च करके हर चीज मिल सकती है,लेकिन माँ-बाप कहीं नही मिलेंगे, यह ध्यान रखना|अडसठ तीर्थ, माँ-बाप के चरणों में ही है यह जान लो,जीवित रहे तब उनके ह्रदय को शान्ति देना,बाद में ऐसा मौका नही मिलेगा, ऐसा समझना|
माता-पिता की छत्रछाया,तो किन्ही भाग्यशाली पुत्रो को ही मिलती है, ऐसा जानना |मातरु-देवो भव,पितृ-देवो भव, यह सनातन सत्य है, यह जान लो |
मेरी आपसे एक ही आग्रह भरी विनती है, की जब कभीं आप आपस में मिलो,
मुस्कराते मुख से, इतना ही कहना, माँ-बाबूजी मजे में है |खिलखिलाते हुए चेहरे को देखकर की, अपने दिन तुम्हें खुश रखने में और अपनी रातें तुम्हारे सुनहरे भविष्य को संजोने में गुज़ार दीं, उन माँ – बाप की सेवा करने का जब अवसर आ रहा है तो क्यों अपने फ़र्ज़ और अपने कर्त्तव्य से विमुख होना ?
आओ आज हम सभी मिलकर उन मात-पिता के चरणों में वंदन कर उनके चेहरे पर ख़ुशी के आंसू छलका जाएं, उनके चेहरों पर मुस्कान ले आयें और उन्हें हर दुःख की छाव से बचाएँ !
लेकिन उन्हें दुःख पहुचाकर, उनकी आखो के अश्रुरूपी मोती मत बनना |जीते जी सदा सारस के जोड़े की तरह साथ रहने वाले माँ-बाप को मत बाटना,
अपने लोगो का भी उपेक्षित व्यवहार, वे कैसे सहेंगे ?नौ माह तक पेट में, गोद में तथा बाद अपने ह्रदय में रखकर, तुम्हे बड़ा करने वाले
माँ-बाप को सम्हालने का जब समय आए,तो उन्हें घर का द्वार मत दिखाना,अभी तुमने उनको रखने की बारी बांधी है,लेकिन कल तुम्हारी बारी आने वाली है, ये याद रखना |पैसा खर्च करके हर चीज मिल सकती है,लेकिन माँ-बाप कहीं नही मिलेंगे, यह ध्यान रखना|अडसठ तीर्थ, माँ-बाप के चरणों में ही है यह जान लो,जीवित रहे तब उनके ह्रदय को शान्ति देना,बाद में ऐसा मौका नही मिलेगा, ऐसा समझना|
माता-पिता की छत्रछाया,तो किन्ही भाग्यशाली पुत्रो को ही मिलती है, ऐसा जानना |मातरु-देवो भव,पितृ-देवो भव, यह सनातन सत्य है, यह जान लो |
मेरी आपसे एक ही आग्रह भरी विनती है, की जब कभीं आप आपस में मिलो,
मुस्कराते मुख से, इतना ही कहना, माँ-बाबूजी मजे में है |खिलखिलाते हुए चेहरे को देखकर की, अपने दिन तुम्हें खुश रखने में और अपनी रातें तुम्हारे सुनहरे भविष्य को संजोने में गुज़ार दीं, उन माँ – बाप की सेवा करने का जब अवसर आ रहा है तो क्यों अपने फ़र्ज़ और अपने कर्त्तव्य से विमुख होना ?
आओ आज हम सभी मिलकर उन मात-पिता के चरणों में वंदन कर उनके चेहरे पर ख़ुशी के आंसू छलका जाएं, उनके चेहरों पर मुस्कान ले आयें और उन्हें हर दुःख की छाव से बचाएँ !
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