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हमारा देस और समाज काफी प्रगति कर गया है और आगे कर भी रहा है लेकिन अभी भी स्त्रियो को जितना सम्मान मिलना चाहिए उतना नही मिलता है क्योकि उन्हें इतना महत्वपूर्ण नही समझा जाता है और इसी लिए गर्भ में ही उनकी हत्या कर दी जाती है लिंग परिक्षण करवाके लेकिन ऐसा नही करना चाहिए, यदि आप ऐसा सोचते है की बेटा होगा तो वह अधिक काम का होगा तो बहुत ही ग़लत सोचते है, बेटा हो या बेटी भगवान की इच्छा समझ के उसे ही स्वीकार कर लेना चाहिए, क्योकि पहेले से ही किसी बात का अंदाजा लगा लेना बहुत उचित नही कहा जा सकता है, इसी से सम्बंधित मै एक प्रेरक प्रसंग प्रस्तुत कर रहा हूँ जिससे आप को ऐसा लगे की कोई किसी से कम नही बस आपने परवरिस कैसे की है, देखभाल कैसे की है, सबकुछ इस पर आधार रखता है .
हमारे देस की सक्रिय राजनीती में अभी भी एक परिवार खूब ही सक्रिय रूप से जुडा हुआ है जिसे गाँधी  नेहरू परिवार के नाम से जाना जाता है , अब आप समझ गए होंगे की मेरा इशारा किस ओर है, जवाहर लाल नेहरू हारे देस के प्रथम प्रधानमंत्री है , इनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था जो बारिस्टर थे
जवाहर लाल नेहरू की एक ही संतान थी जो की पुत्री थी लेकिन हमें इतिहास में कही भी ऐसा नही पता चलता है की जवाहर लाल नेहरू को कभी भी इस बात से कोई समस्या रही हो की कोई बेटा क्यो नही हुआ क्या वो चाहते तो कोई बेटा गोद नही ले सकते थे या फिर कोई दूसरी शादी नही कर सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नही किया भगवन ने उन्हें जो दिया इस मामले में यही कहूँगा की उन्होंने उसे ही स्वीकार कर लिया, वैसे तो अब आप समझ ही गए होंगे की मै किसकी बात कर रहा हूँ लेकिन फिर भी नाम बता ही दूँ, तो जवाहर लाल नेहरू को एक ही पुत्री रत्न की प्राप्ति हुई थी जिनका नाम इंदिरा गाँधी था, अब मै यह विचार करता हूँ की यदि जवाहर जी को पुत्री की जगह कोई पुत्र प्राप्त हुआ होता तो क्या वह इंदिरा गांघी के जितना नाम कर पाता या फिर इतनी निदारत से फैसले ले पाता…..
इसीलिए मेरा ऐसा मानना है की यदि आप अपने बच्चो को सही से पढाते लिखाते है उन्हें देस दुनिया का सही से परिचय कराते हैं उनकी समस्याओ को समझ करके उसका समाधान करते है तो और बेटी को संकुचित द्रिस्टीसे नही देखते है तो आप को अपनी जिन्दगी में कभी भी ऐसा नही लगेगा की हमारा कोई बेटा नही है बल्कि बेटा और बेटी में आप को अन्तर दिखेगा ही नही साथ ही आपका नाम भी रोशन होगा और इस देस का भी|
भोपाल। मध्यप्रदेश के अनेक जिलों में गिरते लिंगानुपात के चलते पैदा हो रहे खतरों के प्रति गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज यहां कहा कि बेटियों को बचाने के लिये समाज की मानसिकता बदलने की जरुरत है। यह काम केवल सरकार नहीं कर सकती है बल्कि इसके लिये समाज में जागरुकता पैदा करनी होगी। शिवराज प्रदेश में बेटी बचाओ अभियान की शुरुआत करने के एक दिन पहले अपने निवास पर संवाददाताओं से चौहान ने कहा कि जनगणना के आंकडों के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा शहरी क्षेत्रों और पढे लिखे लोगों के बीच बेटियों को लेकर ज्यादा भेदभाव किया जाता है तथा बेटों के प्रति ज्यादा लगाव देखा गया है।
चौहान ने इसे आने वाले समय के लिये एक बहुत बडा खतरा बताते हुए कहा कि यदि इसी प्रकार चलता रहा तो वर्ष 2050 में 2.80 करोड़ युवक शादी से वंचित रह जायेंगे। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में ही अनेक जिले ऐसे हैं, जहां लडकियों का अनुपात प्रति हजार 850 ही रह गया है। चौहान ने कहा कि बेटी बचाने के लिये जनजागरण अभियान की आवश्यकता है। वहीं, इसके लिये प्रोत्साहन दिये जाने के साथ साथ ऐसा करने का दोषी पाये जाने के बाद कडे़ दंड का प्रावधान भी आवश्यक हैं।
उन्होंने कहा कि अभी कानून के तहत ऐसा किये जाने पर अनेक प्रावधान है, लेकिन उनको और कड़ा किये जाने की आवश्यकता है। चौहान ने कहा कि यदि समाज के सामने सही तस्वीर पेश की जाये और समाज के सभी लोगों को इसके साथ जोडा जाये तो ही स्थिति में सुधार हो सकता है। उन्होंने कहा कि यदि समाज में बेटियां ही नहीं होंगी तो सृष्टि का संतुलन बिगड़ जायेगा। महिलाओं के प्रति अत्याचार के मामले में प्रदेश के स्थान के बारे में मुख्यमंत्री ने स्वीकार किया कि इस संबंध में प्रदेश में स्थिति संतोषजनक नहीं है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में यह आंकडा इसलिये भी अधिक है, क्योंकि अनेक राज्यों में इस प्रकार के मामलों में अपराध ही पंजीबद्ध नहीं किये जाते हैं। इस अभियान को राजनीति से अलग रखने की अपील करते हुए मुख्यमंत्राी ने कहा कि इस मामले में सभी धर्म के लोगों को जोडा जायेगा। उन्‍होंने कहा कि इस संबंध में आने वाले खतरों को जब सामने लाया जायेगा तो समाज में जागृति पैदा होगी और लोगों की मानसिकता में बदलाव आयेगा।Aaj bharat aazaad hai, agar aisa hai aapka vichaar,
To aazaad bharat ki beti kyun hain, aaj bhi lachaar???

Janni hai jo sanskriti ki, hai jo sabki sarjanhaar,
Use hi nahi mil pa raha aaj janam lene ka adhikaar???

Dudh piti nahi to kya, hai bhrun hatya ka vyabhichaar,
Kal ki mata ko aaj rondh dena, kahan ke yeh sanskaar???

Bharat ki beti ke tan par nahi, ho raha ruh par bhi balatkaar,
Aur kehte ho unnati-sheel hain hum, kaisa yeh vikaar???

Chand ko jeet liya jisne, us bharat ki beti gayi hai haar,
Aaj bhi nahi hone de raha, yeh samaj uske sapne sakaar???

Aankhon mein aanshu hai uske, dil mein gam beshumaar,
Aur jagat kehta hai, uske haalaat mein hai sudhaar???

Aaj bharat ki beti puch rahi, batado is baat ka saar,
Na rahungi jab main, kya chala paoge yeh sansaar???

��े में गुज़ार दीं, उन माँ बाप की सेवा करने का जब अवसर आ रहा है तो क्यों अपने फ़र्ज़ और अपने कर्त्तव्य से विमुख होना ?
आओ आज हम सभी मिलकर उन मात-पिता के चरणों में वंदन कर उनके चेहरे पर ख़ुशी के आंसू छलका जाएं, उनके चेहरों पर मुस्कान ले आयें और उन्हें हर दुःख की छाव से बचाएँ !

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