अमृत फल आँवला

अमृतफल आँवला
आँवला चाहे हरा हो या सूखा, जो भी इसका नियमित सेवन करेगा,उसकी जीवनशक्ति में प्रचंड वृद्धि होगी, वह निरोग रहेगा ।
आँवला मस्तिष्क को तेज, श्वासरोगों को दूर, हृदय को मजबूत और नेत्रज्योति व आँतों की कार्यशक्ति में वृद्धि तो करता ही है, साथ ही यकृत को स्वस्थ बनाकर पाचनशक्ति में वृद्धि भी करता है । यह रक्तशुद्धि एवं रक्तसंचार में गुणकारी है तथा वीर्य का स्रोत है । यह आयुवर्धक तथा सात्त्विक वृत्ति उत्पन्न करके ओज एवं कांति को बढ़ानेवाला है ।
आँवले को विटामिन ‘सी’ का भंडार कहा जाता है । स्वस्थ रहने के लिए हमें रोज जितनी मात्रा में विटामिन ‘सी’ की आवश्यकता होती है, वह केवल एक आँवला ही पूरा कर सकता है ।
विटामिन ‘सी’ शरीर के लगभग 300 कार्यों में अत्यधिक सहायक होता है । मस्तिष्क के कार्यों में विटामिन ‘सी’ की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है । इसलिए साधकों को नियमित रूप से आँवले का सेवन करना चाहिए ।
संतरे की तुलना में आँवले में 20 गुना ज्यादा विटामिन ‘सी’ पाया जाता है । 100 ग्राम आँवले में 600 मि.ग्रा. विटामिन ‘सी’ होता है, जबकि 100 ग्राम संतरे में 30 मि.ग्रा. ही विटामिन ‘सी’ होता है और सेवफल की तुलना में आँवले में 160 गुना विटामिन ‘सी’ तथा 3 गुना प्रोटीन होता है । आश्चर्य की बात यह है कि आँवले को उबालने, पीसने, भाप में पकाने या सुखाने पर भी उसमें उपस्थित विटामिन ‘सी’ की मात्रा में कमी नहीं आती है । यह गुण किसी भी अन्य फल या साग-सब्जी में नहीं होता ।
मासिक धर्म के दौरान अधिक रक्तस्राव होने से महिलाओं में आनेवाली कमजोरी आँवले के सेवन से कम होती है ।
रोज लगभग 20 से 30 ग्राम आँवले का मुरब्बा या चूर्ण खाने से भरपूर विटामिन ‘सी’ मिलता है, साथ ही पेट भी साफ रहता है । हृदयरोग में आँवले का मुरब्बा लाभकारी है । मधुमेह के रोगियों को ठंडी के मौसम में ताजे आँवले चबाकर खाने से या उसके रसपान से लाभ होता है । ठंडी के मौसम में 3-4 महीने तक रोज 2-3 ताजे आँवले का रस सुबह खाली पेट पीने से शरीर की सुस्ती व कमजोरी दूर होती है । बुखार में आँवले के रस का सेवन करने से मरीज को कमजोरी नहीं आती ।
सुबह खाली पेट आँवले का सेवन करने से अधिक लाभ होता है । इससे हलका बुखार, प्यास, जलन मिटती है । दाल-सब्जी पकाते समय उसमें आँवला डालकर उबालने से भी उसकी पौष्टिकता में वृद्धि होती है । कैंसर तथा टी.बी. जैसी खतरनाक व्याधियाँ भी आँवले के उपयोग से रोकी जा सकती हैं । स्नान करते समय आँवलों के चूर्ण का गाढ़ा घोल या उनका ताजा रस लगाकर स्नान करने से शरीर में निखार आता है और बाल रेशम जैसे मुलायम हो जाते हैं ।
औषधीय प्रयोग
* जो मनुष्य आँवले का रस 10 से 15 मि.ली., शहद 10 से 15 ग्राम, मिश्री 10 से 15 ग्राम और घी 20 ग्राम मिलाकर चाटता है तथा पथ्य भोजन करता है, उससे वृद्धावस्था दूर रहती है ।
* हर्र, बहेड़ा, आँवला, घी-मिश्री संग खाय ।
  हाथी दाबै बगल में, तीन कोस ले जाय ।।
* हर्र, बहेड़ा, आँवला, जो शहद में खाय ।
काँख चाप गजराज को, पाँच कोस लै जाय ।।
* हर्र, बहेड़ा, आँवला, चौथी डाल गिलोय ।
   पंचम जीरा डाल के, निर्मल काया होय ।।
इस प्रयोग से शरीर में गर्मी, रक्त, चमड़ी तथा अम्लपित्त के रोग दूर होते हैं और शक्ति मिलती है ।
* आँवला घृतकुमारी के संग पीने से पित्त का नाश होता है ।
* 15-20 मि.ली. आँवलों का रस तथा एक चम्मच शहद मिलाकर चाटने से आँखों की रोशनी में वृद्धि होती है ।
* सर्दी या कफ की तकलीफ हो तो आँवले के 15-20 मि.ली. रस या 1 ग्राम (पाव चम्मच) चूर्ण में 1 ग्राम हल्दी मिलाकर लें ।
* 1-2 आँवले और 10-20 ग्राम काले तिल रोज सुबह चबाकर खाने से स्मरणशक्ति तेज हो जाती है ।

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