श्री द्वारिकाधीश भाग- 123 ‘इमं स्वपर्तिं नारदाय ब्रह्मपुत्राय प्रददे।' सत्यभामा जी ने हाथ में जल लेकर सम्पूर्ण संकल्प पढ़कर श्रीकृष्णचन्द्र का दान कर दिया। सहस्र धेनु तथ...
श्री द्वारिकाधीश भाग- 110 श्रीकृष्णचन्द्र तो अपने सखा में निमग्न थे। उन्हें भी दूसरा कुछ स्मरण नहीं था उस समय। महारानी रुक्मिणी सेवा में लगी थीं। यह सेवा का सुअवसर पुनः कहा...