दीवाली के दिन करे

--धनतेरस की सायंकालीन संध्या को उत्तर दिशा की और मुख करके यमराज को दो दीपक दान करना चाहिये | निम्न मंत्र बोलेॐ यमाय नम:ॐ धर्मराजाय नम:ॐ मृत्यवे नम:ॐ अन्तकाय नम:ॐ कालाय नम:--सायंकालीन संध्या को तुलसीजी के आगे एक दीपक रखना चाहिये, दरिद्रता मिटाने के काम आता है |------------दीपावली--------------दीपावली के दिन चांदी की कटोरी में अगर कपूर को जलायें, तो परिवार में तीनों तापों से रक्षा होती--दीपावली के दिन घर के मुख्य दरवाजे के दायीं और बायीं ओर गेहूँ की छोटी-छोटी ढेरी लगाकर उस पर सरसों के तेल का दो दीपक जला दें। हो सके तो वे रात भर जलते रहें, इससे आपके घर में सुख-सम्पत्ति की वृद्धि होगी।मिट्टी के कोरे दीयों में कभी भी तेल-घी नहीं डालना चाहिए।दीये 6 घंटे पानी में भिगोकर रखें, फिर इस्तेमाल करें। नासमझ लोग कोरे दीयों में घी डालकर बिगाड़ करते हैं।🏻अशोक के वृक्ष और नीम के पत्ते में रोगप्रतिकारक शक्ति होती है। प्रवेशद्वार के ऊपर नीम, आम, अशोक आदि के पत्ते कोतोरण (बंदनवार) बाँधना मंगलकारी है..हर अमावस्या को (और दिवाली को भी) पीपल के पेड़ के नीचे दिया जलाने से पितृ और देवता प्रसन्न होते हैं, और अच्छी आत्माएं घर में जनम लेती हैं.दीपावली की शाम को अशोक वृक्ष के नीचे घी का दिया जलायें, तो बहुत शुभ माना जाता है |-- पूजा के स्थान पर मोर-पंख रखने से लक्ष्मी-प्राप्ति मेंमदद मिलती है...तुलसी के पौधे के आगे शाम को दिया जलाने से लक्ष्मी वृध्धिमें मदद मिलती है; लक्ष्मीजी को कभी तुलसीजी नहीं चढाई जाती, उनको कमल चढाया जाता है |दीपावली के दिन लौंग और इलाइची को जलाकर राख कर दें; उस से फिर गुरुदेव (की फोटो) को तिलक करें; लक्ष्मी-प्राप्ति में मदद मिलती है, बरकत होती है |थोड़ी खीर कटोरी में डाल के और नारियल लेकर के घूमना और मन में "लक्ष्मी- नारायण" जप करना और खीर ऐसी जगह रखना जहाँ किसी का पैर ना पड़े और गायें, कौए आदि खा जाएँ और नारियल अपने घर के मुख्य द्वार पर फोड़ देना और इसकी प्रसादी बाँटना । इससे घर में आनंद और सुख -शांति रहेगी ।दिवाली की रात अगर घर के लोग गाय के गोबर के जलते हुए कंडे पर ५-५ आहुतियाँ डालते हैं, तो उस घर में सम्पदा व संवादिताकी सम्भावना बढ़ जाती है । घी, गुड़, चन्दन चूरा, देसी कपूर, गूगल, चावल, जौ और तिल । ५-५ आहुति इन मंत्र को पड़ कर डालें - स्थान देवताभ्यो नमः, ग्राम देवताभ्यो नमः, कुल देवताभ्यो नमः । फिर २-५ आहुतियाँ लक्ष्मीजी के लिएये मंत्र बोलकर डालें -श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा ।

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